एक वकालत के छात्र के लिये अदालत का सबसे करीबी अनुभव मूटिंग होता है और विद्यार्थियों को हमारी मतृभाषा हिंदी का महत्व समझाने के लिये आज हिंदी मूट का आयोजन किया गया। यह मूट आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के उन छात्रों ने प्रस्तुत किया जो एमिटी हिंदी मूट कोर्ट कॉम्पटीशन में आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ का विजय पर्चम लहरा कर आये थे। सावर मांडा जी ने अभियोग के पक्ष को अदालत के सामने रखा तो मनीष कुमार जी ने बचाव पक्ष की ओर से बखूबी अपने मुवक्किल को बेगुनाह साबित करने का प्रयास किया। मूट कथन के अनुसार एक रोहिणी नामक महिला का शव उसी के कमरे में पाया गया और शक के दायरे में रोहिणी के पिता, उसके करीबी दोस्त अहमद खान और कंपनी के मालिक अजय राणावत थे। जहां अभियोक्ता ने तीनों को दोषी ठहराते हुए अदालत से सज़ा की प्रार्थना की वहीं बचाव पक्ष के वकील ने मृत्यु को आत्महत्या के रूप में प्रस्तुत किया।इस मुकदमे के न्याधीश डॉ अजयमीत और डॉ पूजा जसवाल थे। जहां डॉ पूजा जसवाल के सीधे प्रश्नों ने वकीलों को उलझा रहे थे वहीं डॉ अजयमीत की उर्दू ने श्रोताओं को बांधे रखा था। ताजुब की बात तो यह थी कि यहां भी वही हुआ जो हर अदालत में होता है – मिली तो बस तारीख।
-कोमल